मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों की आर्थिक हालत गंभीर: आय कम, खर्च ज्यादा, बजट प्रबंधन में खामियां

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भोपाल।
मध्य प्रदेश में नगर निगम और नगर पालिकाओं की आर्थिक स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। इन निकायों की हालत आमदनी अठन्न खर्चा रुपैया जैसी हो गई है जहां आय कम और खर्च अत्यधिक हो रहा है। इस संकट का मुख्य कारण बजट प्रबंधन की कमी और आय का सही आकलन न होना बताया जा रहा है। इससे न केवल नगर निगमों और पालिकाओं के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं बल्कि कर्मचारियों की वेतन राशि भी समय पर नहीं मिल पा रही है।

मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों के इस संकट की तस्वीर मध्य प्रदेश स्थानीय निधि संपरीक्षा के 2021-22 के वार्षिक प्रतिवेदन में सामने आई है जिसे हाल ही में विधानसभा के पटल पर रखा गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक नगरीय निकायों का वित्तीय प्रबंधन पूरी तरह से गड़बड़ाया हुआ है जिससे इन निकायों का खर्च उनकी वास्तविक आय से कहीं अधिक हो गया है।

आय से अधिक खर्च की स्थिति

रिपोर्ट के अनुसार, छह प्रमुख नगर निगमों सागर सतना, उज्जैन, देवास, इंदौर और रीवा की कुल वास्तविक आय 26,89,19,02,372 रुपये रही जबकि इन नगर निगमों का कुल व्यय 29,47,52,84,875 रुपये था। इसका मतलब है कि इन नगर निगमों ने 2,58,34,82,503 रुपये अपनी आय से अधिक खर्च किया। इसी तरह, 11 नगर पालिकाओं की वास्तविक आय 4,92,62,72,896 रुपये रही और वास्तविक व्यय 5,73,86,70,532 रुपये हुआ, जो इस बात को दर्शाता है कि इन पालिकाओं ने भी अपनी आय से कहीं अधिक खर्च किया।

यह स्थिति इस तथ्य को साबित करती है कि नगर निगमों और नगर पालिकाओं के बजट का प्रबंधन पूरी तरह से ढह चुका है। वे न केवल अपनी वास्तविक आय का ठीक से आकलन नहीं कर पा रहे, बल्कि राजस्व वसूली में भी पिछड़े हुए हैं। इसके कारण विकास कार्यों के लिए जरूरी धन जुटाना मुश्किल हो रहा है और कर्मचारियों को वेतन देने में भी दिक्कतें आ रही हैं।

राजस्व वसूली की कमजोरी

राजस्व वसूली की प्रक्रिया भी नगरीय निकायों के लिए एक बड़ा संकट बन चुकी है। कई नगर निगमों और नगर पालिकाओं ने तय किया था कि वे अपने राजस्व का एक निश्चित हिस्सा वसूल करेंगे, लेकिन यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। वसूली में कमी होने के कारण नगरीय निकायों को बाहरी मदद की आवश्यकता महसूस हो रही है। इसके साथ ही वित्तीय घाटे को कम करने के लिए सरकार से अतिरिक्त अनुदान की उम्मीद जताई जा रही है।

नगरीय निकायों के लिए आगे की राह

इस स्थिति को सुधारने के लिए तत्काल उपायों की आवश्यकता है। नगरीय निकायों को अपनी आय वसूली को दुरुस्त करना होगा और बजट प्रबंधन में सुधार करना होगा। इसके साथ ही, विकास कार्यों के लिए धन जुटाने की प्रक्रिया को भी बेहतर बनाने की जरूरत है। अगर ये समस्याएं समय रहते हल नहीं की गईं तो नगरीय विकास कार्यों में और अधिक रुकावटें आ सकती हैं और नागरिकों को इससे नुकसान उठाना पड़ सकता है।

मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों का आर्थिक संकट गंभीर है। आय और व्यय का असंतुलन उनकी कार्यकुशलता को प्रभावित कर रहा है और राज्य सरकार को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर निकायों को वित्तीय रूप से सक्षम नहीं बनाया गया तो वे अपने मौजूदा कार्यों को भी सही से पूरा नहीं कर पाएंगे। यह स्थिति मध्य प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में विकास की गति को मंद कर सकती है जो राज्य के समग्र विकास के लिए एक चिंता का विषय है।