1 लाख रुपये है क्रेडिट कार्ड की लिमिट, कितना खर्च करें कि सिबिल खराब न हो
नई दिल्ली । क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। क्रेडिट कार्ड जितनी सहूलियत देता है, उतनी ही सांसत और समस्या भी खड़ी कर सकता है। क्रेडिट कार्ड यूज करने वाले ज्यादातर ग्राहक को यही पता नहीं होगा कि आखिर उन्हें कुल लिमिट का कितना पैसा खर्च करना चाहिए।
अगर आप ऐसा सोचते हैं कि कार्ड की पूरी लिमिट खर्च कर लीजिए और समय पर बिल चुका दीजिए तो गलत हैं। समय पर बिल चुकाने के बावजूद आपका सिबिल स्कोर खराब हो सकता है। यह बात सुनने में थोड़ी अजीब है लेकिन 100 फीसदी सच भी है कि कार्ड की पूरी लिमिट तक खर्च करना, क्रेडिट स्कोर को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
कार्ड की कुल लिमिट और खर्च के अनुपात को क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो कहते हैं। यह रेशियो जितना ज्यादा होगा, आपके क्रेडिट स्कोर पर भी उतना ही असर पड़ेगा। एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर आप अपना क्रेडिट स्कोर ऊंचा बनाए रखना चाहते हैं तो कुल लिमिट का 30 फीसदी से अधिक पैसा नहीं खर्च करना चाहिए। मसलन, अगर आपके कार्ड की लिमिट 1 लाख रुपये है तो आपको 30 हजार से ज्यादा पैसे कार्ड के जरिये नहीं खर्च करने चाहिए।
क्यों कम करना चाहिए खर्चा
दरअसल, कार्डधारक का क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो हर महीने अपडेट किया जाता है। लिहाजा कंपनियां भी आपके क्रेडिट कार्ड से किए गए खर्च पर हर महीने निगाह रखती हैं। अगर आपका ज्यादा खर्चा क्रेडिट कार्ड से होता है तो कंपनियों को यही संदेश जाता है कि आपके पास कैश की कमी है और ज्यादातर क्रेडिट पर निर्भर रहते हैं। इससे आपको जोखिम वाले कस्टमर की श्रेणी में डाल देती हैं, जिसका असर क्रेडिट स्कोर पर भी दिखता है।
कब होता है ज्यादा असर
अगर आपका क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो किसी महीने बढ़ भी जाता है तो कोई चिंता करने की जरूरत नहीं, क्योंकि कंपनियां हर महीने अपडेट करती हैं और आगे रेशियो कम होने पर क्रेडिट स्कोर फिर अपडेट हो जाता है। हालांकि, कुछ खास मौकों के लिए आपको रेशियो कम रखना चाहिए। अगर आप कोई लोन लेने की प्लानिंग कर रहे हैं तो क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो कम रखने में ही फायदा है। इससे आपको कम ब्याज पर लोन मिल जाएगा।
बिलकुल न खर्च करें तो…
कुछ लोग ऐसा भी सोचते हैं कि अगर क्रेडिट कार्ड से कोई खर्चा ही न किया जाए तो सिबिल ऊंचा रहेगा। लेकिन, ऐसा नहीं है। अगर आपने क्रेडिट कार्ड से कोई खर्चा नहीं किया तो भी आपके सिबिल पर इसका असर पड़ेगा। दरअसल, कोई खर्चा नहीं करने पर कंपनियों को लगता है कि आपके पास क्रेडिट चुकाने की पूंजी नहीं है और वे ऐसे कस्टमर को जोखिम की कैटेगरी में डाल देती हैं, जिससे आपका सिबिल भी इम्पैक्ट होता है।