तिहाड़ जेल में दुर्दांत बदमाशों के चलते दो दर्जन कर्मचारियों का तबादला, बदमाशों से संबंध होने का शक
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ की एकमात्र हाई सिक्योरिटी जेल (जेल संख्या 15) में बड़े पैमाने पर तबादले किए गए हैं। इस जेल के कुल स्वीकृत पदों के करीब एक तिहाई जेलकर्मियों को तबादले की जद में लाते हुए दूसरे जेलों में भेजा गया है।
जेल प्रशासन औपचारिक तौर पर इन तबादलों को रूटीन में किया गया तबादला बता रहा है, लेकिन सूत्रों की मानें तो प्रशासन को इस बात की भनक कहीं से लगी कि जेल के अंदर कुछ कैदियों व जेलकर्मियों के बीच संबंध कुछ ज्यादा ही प्रगाढ़ बनने लगे थे।
इससे पहल कि प्रगाढ़ हो रहा यह संबंध कैदियों को कानून के दायरे से बाहर की सहूलियतें उपलब्ध कराने का जरिया बनता, जेलकर्मियों का तबादला कर दिया गया। तबादले की जद में अधिकांश जेलकर्मियों का न सिर्फ जेल बदला गया है, बल्कि परिसर भी बदल दिया गया है।
55 जेलकर्मियों के हुए हैं तबादले
जेल मुख्यालय द्वारा अक्टूबर के पहले सप्ताह में जारी आदेश में विभिन्न जेलों के 55 जेलकर्मियों का स्थानांतरण किया गया। इनमें 10 हेडवार्डर व शेष वार्डर थे। 55 जेलकर्मियों में 24 जेलकर्मी सिर्फ जेल संख्या 15 के हैं। इनमें तीन हेड वार्डर शामिल हैं।
24 जेलकर्मियों में अधिकांश के न सिर्फ जेल बदले गए हैं, बल्कि इनके परिसर भी बदल दिए गए हैं। जिस मंडाेली परिसर में ये तैनात थे, वहां 10 का तबादला तिहाड़ परिसर की विभिन्न जेलों में, छह को रोहिणी व शेष को मंडोली परिसर की दूसरी जेलों में डयूटी मिली है।
संवेदनशील है जेल संख्या 15
जेल संख्या 15 दिल्ली का एकमात्र हाई सिक्योरिटी जेल है। कहने को इसके अलावा भी अन्य जेलों में हाई सिक्योरिटी वार्ड हैं, लेकिन उन जेलों में सामान्य कैदियों को भी जगह मिलती है।
जेल संख्या 15 में बंद हैं केवल दुर्दांत बदमाश
जेल संख्या 15 में केवल और केवल दुर्दांत बदमाशों जिनमें अधिकांश गैंगस्टर हैं, उन्हें ही रखा जाता है। इन कैदियों को बिल्कुल अलग थलग रखा जाता है। इस जेल का पूरा ढांचा ही किले की तरह है, जहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं।
इस जेल में कैदियों की संख्या काफी कम
प्रशासन की कोशिश रहती है कि इस जेल में बंद प्रत्येक कैदी की प्रत्येक गतिविधि पर प्रशासन की सीधी नजर रहे। यही कारण है कि इस जेल में कैदियों की संख्या अन्य जेलों के मुकाबले काफी कम है। इस जेल की कुल क्षमता करीब 250 कैदियों की है, लेकिन अभी यहां केवल 117 कैदी ही हैं।
वार्डर व हेड वार्डर दोनों को मिला दिया जाए तो करीब 75 कर्मियों की यहां तैनाती है। इस लिहाज से देखें तो एक साथ करीब करीब एक तिहाई जेलकर्मियों को यहां एकाएक बदल दिया गया है। सूत्रों की मानें तो आने वाले समय में इस जेल में वार्डर व हेड वार्डर के अलावा अन्य सीनियर अधिकारियों के भी तबादले की जद में आने की पूरी संभावना है।
सुरक्षा के लिहाज से तीन तरह के होते हैं वार्ड व जेल
सुरक्षा के लिहाज से जेल में कैदियों को तीन तरह के अलग अलग जेलों में रखा जाता है।
जिनकी सुरक्षा सर्वाधिक संवेदनशील होती है, उन्हें हाई सिक्योरिटी जेल में रखा जाता है। इनमें बड़े गैंगस्टर, आतंकी, नशा तस्कर जैसे बदमाश शामिल होते हैं।
जहां हाई सिक्योरिटी जेल नहीं हैं, वहां इन्हें अन्य कैदियों से अलग रखने के लिए हाई सिक्योरिटी वार्ड में रखा जाता है।
जिनकी सुरक्षा संवेदनशील होती है, उन्हें स्पेशल सिक्योरिटी जेल में रखा जाता है। तिहाड़ में अभी स्पेशल सिक्योरिटी जेल तो नहीं है, लेकिन स्पेशल सिक्योरिटी वार्ड बने हैं।
आमतौर पर बड़े बड़े मामलों में आरोपित नेताओं व अधिकारियों को इनमें जगह मिलती है।
दोनों ही तरह की व्यवस्था में प्रशासन की कोशिश रहती है कि इन कैदियों के संपर्क में दूसरा कैदी नहीं आए। केवल जेल प्रशासन के कर्मी ही जरूरत पड़ने पर इनपर निगरानी के लिए रहें।