अमेरिकी ठेकेदारों को यूक्रेन भेजने से बाइडेल प्रशासन का साफ इनकार, ठुकराया प्रस्ताव

मोस्‍को । रूस और यूक्रेन में भीषण लड़ाई के बीच अमेरिका से खबर है कि जो बाइडेन सरकार ने अमेरिकी ठेकेदारों को यूक्रेन भेजने से साफ इनकार कर दिया है। अमेरिकी सरकार को डर है कि पुतिन की सेना यूक्रेन में उनके नागरिकों को निशाना बना सकती है। इससे पहले व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने एफ-16 और अन्य अमेरिकी सैन्य हथियारों के रख-रखाव और मरम्मत के लिए यूक्रेन में अमेरिकी ठेकेदारों को भेजने का प्रस्ताव भेजा था लेकिन, बाइडेन प्रशासन इस प्रस्ताव को मानने के लिए तैयार नहीं है।

बाइडेन प्रशासन के कथित तौर पर सुरक्षा को लेकर चिंता जताई

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि बाइडेन प्रशासन ने कथित तौर पर सुरक्षा चिंताओं के कारण एफ-16 लड़ाकू जेट सहित पश्चिमी देशों द्वारा आपूर्ति किए गए सैन्य उपकरणों के रखरखाव के लिए यूक्रेन में अमेरिकी ठेकेदारों को भेजने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। हालांकि अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि यूरोपीय देश यूक्रेन में “एफ-16 लड़ाकू विमान के रखरखाव की जिम्मेदारी लेंगे।

दरअसल, व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने एफ-16 और अन्य सैन्य हथियारों के रखरखाव के लिए यूक्रेन में नागरिक ठेकेदारों को भेजने पर विचार किया था, लेकिन खुफिया और अन्य एजेंसियों ने इस तरह के कदम को बहुत जोखिम भरा बताया है। एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “खुफिया विभाग ने रूस द्वारा यूक्रेन में अमेरिकी ठेकेदारों को निशाना बनाये जाने की संभावना पर चिंता जताई है।”

रूस और यूक्रेन में भीषण बमबारी

गौरतलब है कि अमेरिकी सरकार द्वारा एफ-16 लड़ाकू विमान के रख-रखाव के लिए अमेरिकी ठेकेदारों को भेजने से इनकार की बात तब सामने आई है, जब यूक्रेन और रूस में भीषण युद्ध चल रहा है। चार हफ्तों से रूस और यूक्रेन दोनों ने एक दूसरे के शहरों पर भीषण बमबारी की है। यूक्रेन रूसी शहर कुर्स्क पर कब्जा किए हुए है और मॉस्को समेत कई शहरों को दहला रहा है। जवाब में रूसी सेना भी कीव और कई यूक्रेनी शहरों पर हवाई हमले कर रही है।

यूक्रेन की वायु सेना ने सोमवार सुबह जानकारी दी कि रूस ने कीव और अन्य शहरों को निशाना बनाकर ड्रोन, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल से कई हमले किए हैं। सोमवार तड़के यूक्रेन की राजधानी कई विस्फोटों से दहल उठी, जिससे निवासियों को बम रोधी आश्रयों में शरण लेना पड़ा।

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