बाबा सिद्दीकी के कत्ल पर मुंबई पुलिस और गृह विभाग पर उठे सवाल, महायुति में बवाल

मुंबई। NCP के साथ-साथ राज्य के विपक्षी दल भी फडणवीस और राज्य सरकार को घेर रहे हैं। कांग्रेस ने कहा, ‘कहां है सरकार? जब भी कानून और व्यवस्था पर सवाल उठते हैं, तो सरकार एक कहानी के साथ सामने आ जाती है। मुंबई, पुणे, नागपुर और राज्य के अन्य हिस्सों में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है।’

NCP यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता बाबा सिद्दीकी की मौत महायुति में ही खटास पैदा करती नजर आ रही है। खबर है कि अब सिद्दीकी की मौत को लेकर सबसे ज्यादा सवाल उपमुख्यमंत्री पर उठ रहे हैं। गठबंधन के साथी दल NCP ने यह तक कह दिया है कि यह ‘गृह विभाग की नाकामी है।’ खास बात है कि महाराष्ट्र सरकार में फडणवीस ही गृह मंत्रालय संभालते हैं।

क्या बोले साथी
NCP के प्रवक्ता एमएलसी अमोल मितकारी ने कहा दिया कि यह हत्या उनकी पार्टी के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने कहा, ‘हत्या मुंबई में भयंकर सुरक्षा स्थिति को दिखा रही है। अगर एक आम आदमी के साथ ऐसा हो तो हम समझते हैं… लेकिन एक पूर्व मंत्री की मौत हो गई है, जो गृह विभाग की नाकामी को दिखाता है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर मुंबई पुलिस ने बाबा सिद्दीकी की जान पर बने खतरे को गंभीरता से लिया होता, तो यह हत्या नहीं होती। हमारी राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित पवार ने अपने करीबी को खो दिया।’

NCP के साथ-साथ राज्य के विपक्षी दल भी फडणवीस और राज्य सरकार को घेर रहे हैं। कांग्रेस ने कहा, ‘कहां है सरकार? जब भी कानून और व्यवस्था पर सवाल उठते हैं, तो सरकार एक कहानी के साथ सामने आ जाती है। मुंबई, पुणे, नागपुर और राज्य के अन्य हिस्सों में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है।’ शिवसेना (UBT) ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर फडणवीस के विभाग में दखल देने के आरोप लगाए और इस्तीफे की मांग की है।

बीते साल सितंबर में पुलिस ने मनोज जरांगे पाटिल की अगुवाई वाले प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज कर दिया था। उस दौरान फडणवीस को साथी दलों के सवालों का भी सामना करना पड़ा था। हालांकि, एनसीपी नेता छगन भुजवल उनके बचाव में आ गए थे। फरवरी में भाजपा के कल्याण पूर्व के विधायक गणपत गायकवाड़ ने शिवसेना कार्यकर्ता महेश गायकवाड़ को पुलिस स्टेशन में गोली मार दी थी।

बॉलीवुड एक्टर सलमान खान के घर हुई फायरिंग के दौरान भी फडणवीस पर सवाल उठे थे। बदलापुर में नाबालिग लड़कियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न मामले में भी सरकार, पुलिस और गृह विभाग को बॉम्बे हाईकोर्ट के सवालों का सामना करना पड़ा था।