पाकिस्तान के सत्ताधारी गठबंधन को झटका, सुप्रीम आदेश से गंवानी पड़ीं 27 आरक्षित सीटें
इस्लामाबाद । पाकिस्तान में पीएमएलएन के नेतृत्व वाली सत्ताधारी गठबंधन को पंजाब में बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सत्ताधारी गठबंधन को पंजाब असेंबली में 27 आरक्षित सीटें गंवानी पड़ी हैं। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाते हुए सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल को इसके हिस्से की आरक्षित सीटें देने का आदेश दिया था। ये सीटें महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं।
पंजाब असेंबली के स्पीकर मलिक मोहम्मद अहमद ने राज्य की 27 सीटों पर सदस्यों की नियुक्ति को अवैध बताते हुए उनके असेंबली की कार्यवाही में शामिल होने पर रोक लगा दी। स्पीकर ने कहा कि जब तक चुनाव आयोग या सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनके स्टेटस के बारे में स्पष्ट नहीं किया जाता, तब तक वे असेंबली सदस्य के तौर पर काम नहीं कर पाएंगे। निलंबित किए गए 27 असेंबली सदस्यों में से 23 सदस्य नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएलएन के सदस्य हैं। वहीं दो पाकिस्तान पीपल्स पार्टी और एक-एक पीएमएल-क्यू और आईपीपी का सदस्य है।
पाकिस्तान में राज्य असेंबली में 156 सीटें महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। सभी पार्टियों को असेंबली में उनकी सीटों के हिसाब से आरक्षित सीटें आवंटित की जाती हैं। चूंकि इमरान खान की पार्टी पीटीआई के उम्मीदवारों ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और चुनाव जीतने के बाद वे सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल में शामिल हो गए थे। इस लिहाज से सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल की सीटों की संख्या बढ़ गई थी और इस आधार पर सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल ने ज्यादा सीटों की मांग की थी। मामला हाईकोर्ट गया, लेकिन पेशावर हाईकोर्ट ने सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल की मांग को ठुकरा दिया। जिसके बाद काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए काउंसिल को आरक्षित सीटें देने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर पीटीआई समर्थित सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के असेंबली सदस्य राणा आफताब ने उनकी पार्टी को आरक्षित सीटें देने की मांग उठाई। जिस पर शुक्रवार को असेंबली स्पीकर ने सत्ताधारी गठबंधन के आरक्षित सीटों पर नियुक्त सदस्यों को निलंबित कर दिया।