कोचिंग सेंटर वाले छात्रों के साथ खिलवाड़ कर रहे; SC ने खूब सुनाया और दिया बड़ा फैसला

नई दिल्‍ली । दिल्ली में आईएएस परीक्षा की तैयारी कराने वाले एक कोचिंग सेंटर में तीन छात्रों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। अदालत ने कहा कि जब तक कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित नहीं किया जाता, तब तक ऑनलाइन क्लास ही चलाई जाएं। अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि कोचिंग सेंटर अभ्यर्थियों की जिंदगी से खेल रहे हैं, जो देश के अलग-अलग हिस्सों से आकर पढ़ते हैं। शीर्ष अदालत ने इस मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस कर जवाब मांगा है कि कैसे सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए। बेंच ने कहा कि यह घटना आंखें खोलने वाली है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुयां की बेंच ने कहा, ‘ये डेथ चेंबर बन गए हैं। कोचिंग संस्थान तब तक ऑनलाइन क्लासेज चला सकते हैं, जब तक सेफ्टी के सभी मानकों का पालन नहीं हो जाता। कोचिंग संस्थान लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।’

कोचिंग सेंटर वाले अभ्‍यर्थियों के साथ खिलावड़ कर रहे

सुरक्षा नियमों का अनुपालन न करने की सूरत में किसी भी संस्थान को संचालन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कोचिंग सेंटर देश के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले अभ्यर्थियों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सभी कोचिंग संस्थानों को फायर और सेफ्टी के सभी नियमों का पालन करना होगा। दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के अनुसार सारे मानक पूरे किए जाएं। इसके अलावा जब तक इन मानकों को पूरा नहीं किया जाता है, तब तक ये कोचिंग संस्थान ऑनलाइन क्लासेज ही चलाएं। युवाओं के जीवन को खतरे में नहीं डाल सकते। इन मानकों में सुरक्षित निकालने का रास्ता, हवादार परिसर, उचित प्रकाश, अग्निकांड जैसी घटनाओं से निपटने की पूरी तैयारी शामिल हैं।

अब तक किन सेफ्टी नियमों का पालन हो चुका : अदालत

अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार से कहा कि ये चेक करें कि अब तक किन सेफ्टी नियमों का पालन हो चुका है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, ‘कोई भी कोचिंग संस्थान दिल्ली ही नहीं बल्कि एनसीआर में बिना सेफ्टी नियमों के पालन के नहीं चलनी चाहिए। छात्रों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है।’ कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया। फेडरेशन ने अपनी अर्जी में दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से दिसंबर, 2023 में दिए आदेश को चुनौती दी थी। जिसमें उसने बिल्डिंग बाइलॉज, 2016 का उल्लेख करते हुए सेफ्टी नियम बताए थे। इसके तहत अदालत ने फायर सेफ्टी एनओसी को अनिवार्य कर दिया था।

‘बच्चों का डूबकर मर जाना तो आंख खोलने वाली घटना है’

बेंच ने कहा कि देश भर से बच्चे यह सोचकर आते हैं कि उनके सपने पूरे होंगे और उसके लिए समस्त सुविधाएं मिलेंगी। अदालत ने एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए अर्जी को खारिज कर दिया और कहा कि यह ऐसे समय में दाखिल हुई है, जब तीन छात्रों की जान चली गई। बेंच ने कहा कि आप तो बच्चों की जान से खेल रहे हैं। बेंच ने कहा कि दिल्ली में आईएएस का सपना लेकर आए तीन छात्रों की पानी में डूबने से मौत हो गई, जो बेसमेंट में भर आया था। ऐसी घटना तो आंख खोलने वाली है।