राज्‍य सरकारों की उदासीनता से लगा नए राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण पर ग्रहण

नई दिल्‍ली। पर्यावरण मंजूरी व भूमि अधिग्रहण में राज्य सरकारों की उदासीनता के चलते केंद्र को नए राजमार्ग बनाने के लक्ष्य को घटा दिया है। अब चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 10,421 किलोमीटर नए राष्ट्रीय राजमार्ग ही बनाए जाएंगे। इस प्रकार प्रति दिन लगभग 29 किमी राजमार्ग का निर्माण होगा। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में 13,814 किमी (प्रति दिन 38 किमी) नए राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा गया।
वित्त वर्ष समाप्त होने तक (31 मार्च) मंत्रालय ने हर रोज 34 किमी राजमार्ग निर्माण के आंकड़े को हासिल किया। नतीजों से उत्साहित मंत्रालय ने 2024-25 में 40 किमी प्रति दिन (14,600 किमी) राजमार्ग बनाने का संकल्प लिया, लेकिन जून के पहले हफ्ते में मंत्रालय के सचिव व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में इस लक्ष्य को घटा दिया गया।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में अब 10,421 किमी नए राजमार्ग का लक्ष्य तय किया गया है। अप्रैल व मई में सिर्फ 795 किमी राजमार्ग बनाए जा सके। यानी प्रति दिन 13 किमी राजमार्गों का निर्माण हुआ। एक अधिकारी ने बताया कि सरकारी मशीनरी के आम चुनाव में व्यस्त रहने के कारण निर्माण कार्य सुस्त रहा। नई सरकार के गठन के बाद इसमें तेजी आ रही है।

बिहार, झारखंड, बंगाल, छत्तीसगढ़ पिछड़े
मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि पर्यावरण मंजूरी, भूमि अधिग्रहण व जनसुविधाओं को हटाने (बिजली के कंभे, ट्रांसफॉर्मर, भूमिगत केबल, पानी की पाइप लाइनें आदि) का कार्य राज्य सरकार की एजेंसियों का है। इन सब के अभाव में सड़क निर्माण नहीं हो सकता। बताया कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि में भूमि अधिग्रहण-पर्यावरण मंजूरी न मिलने के कारण परियोजनाएं सबसे ज्यादा पीछे चल रही हैं।

10 साल में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने देश में पिछले 10 सालों में राजमार्ग नेटवर्क की लंबाई में रिकॉर्ड 60 फीसदी की बढ़ोतरी की है। वर्तमान में भारत में राजमार्ग नेटवर्क की लंबाई 1,46,145 किमी है। मिशन मोड में कार्य के चलते पिछले दस वर्षों में देश के राजमार्ग क्षेत्र में निवेश नौ गुना बढ़कर 3.01 लाख करोड़ रुपये हो गया है। विजन-2047 के तहत यह आंकड़ा 19.92 लाख करोड़ पहुंचाने का लक्ष्य है।