मध्य प्रदेश में अब तीन वर्ष के पहले नहीं हटाए जा सकेंगे नगर पालिका या परिषद के अध्यक्ष
– मध्यप्रदेश नगरपालिका द्वितीय संशोधन आदेश जारी
भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में नगरीय निकायों (Municipal bodies) के लिए एक नई और बड़ी व्यवस्था (New and bigger system) लागू कर दी गई है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल (Governor Mangubhai Patel.) की अनुमति मिलते ही मंगलवार को विधि एवं विधायी विभाग ने मध्यप्रदेश नगरपालिका द्वितीय संशोधन अध्यादेश-2024 (Madhya Pradesh Municipal Second Amendment Ordinance-2024) मध्यप्रदेश राजपत्र में जारी कर दिया है। इस अध्यादेश के अधिसूचित होने के बाद अब मध्य प्रदेश में अब नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष के विरुद्ध तीन वर्ष के पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। इसके लिए तीन चौथाई पार्षदों के हस्ताक्षर से ही प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकेगा। यह नई व्यवस्था प्रदेश सरकार ने नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43 क में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन कर लागू की है।
प्रदेश में अभी तक नगर पालिका या नगर परिषद के अध्यक्ष के प्रति यदि दो तिहाई पार्षद अविश्वास व्यक्त करते थे तो उन्हें हटाने के लिए दो वर्ष की कालावधि पूर्ण होने पर अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता था। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के समय बड़ी संख्या में पार्षद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। जुलाई-अगस्त 2022 में नगरीय निकायों के चुनाव हुए थे। दो वर्ष की कार्यावधि पूर्ण हो रही थी और ऐसी आशंका थी कि कुछ निकायों के अध्यक्षों को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
सरकार ने इसे हतोत्साहित करने के लिए व्यवस्था में परिवर्तन करने का निर्णय लिया। चूंकि, विधानसभा का सत्रावसान हो चुका है इसलिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश का माध्यम चुना। वरिष्ठ सचिव समिति की असहमति के बाद भी कैबिनेट ने अधिनियम में संशोधन करके तीन चौथाई पार्षदों के समर्थन और तीन वर्ष की कालावधि पूर्ण होने पर ही अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रविधान करने का निर्णय लिया।