भारतीय दूतावास ने धोखाधड़ी की घटनाओं पर लोगों को किया सतर्क, ट्रैवल एजेंट की मदद लेने से किया मना

वॉशिंगटन। अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने ऐसे बेईमान एजेंटों को लेकर चेतावनी दी है। साथ ही प्रवासी भारतीयों के लिए वीजा, पासपोर्ट और अन्य सेवाओं को सुचारू बनाने के लिए किए गए उपायों पर प्रकाश डाला। भारतीय वाणिज्य दूतावास ने लगातार भारतीय लोगों से दूतावास सेवाओं और अन्य धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए अधिक पैसे वसूलने जाने की घटनाएं सामने पर यह बात कही है।

न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूत बिनय श्रीकांत प्रधान ने कहा कि ऐसे कई मामले वाणिज्य दूतावास के संज्ञान में आए हैं, जहां विभिन्न ट्रैवल एजेंट लोगों के विश्वास का गलत फायदा उठा रहे हैं। ये एजेंट लोगों की मदद करने के नाम पर उनसे अधिक धनराशि वसूल रहे हैं।
ऐसे बेईमान तत्वों ने ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई), वीजा, पासपोर्ट और आपातकालीन प्रमाण पत्र जैसी दूतावास सेवाओं में मदद करने के लिए आवेदकों से अधिक पैसे वसूले हैं। बिनय प्रधान ने उदाहरण देते हुए बताया कि ट्रैवल एजेंटों ने भारत की यात्रा के लिए आपातकालीन प्रमाण पत्र मुहैया कराने के लिए 450 अमेरिकी डॉलर तक का शुल्क लिया है, जबकि यह काम मात्र 17 अमेरिकी डॉलर में हो जाता है।

वाणिज्य दूतावास ने कहा कि उसके सामने ऐसे मामले भी आए हैं, जहां अक्सर आवेदकों की बिना जानकारी में एजेंटों द्वारा आवेदकों की ओर से फर्जी दस्तावेज जमा कर देते हैं। इससे न केवल अनावश्यक देरी होती है बल्कि यह निर्धारित भारतीय नियमों का उल्लंघन भी है और आवेदकों को कानूनी पचड़े में डाल देता है।

अधिकारी ने कहा कि एजेंट लोगों को यह विश्वास दिलाते हैं कि उनका दूतावास के साथ संबंध है, जबकि ऐसा होता नहीं है। यह एजेंट झूठे दस्तावेज, नकली प्रमाण पत्र देकर हमारे समुदाय के लोगों को परेशानी में डाल देते हैं। प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि चाहे वह भारतीय नागरिक हो, अमेरिकी नागरिक हो या भारतीय-अमेरिकी हो, उन्हें एजेंट के जरिए हमारे पास आने की जरूरत नहीं है। आप वाणिज्य दूतावास में हमारे द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए सीधे हमारे पास आ सकते हैं। एजेंट की मदद लेने की कोई जरूरत नहीं है।

प्रधान ने कहा कि यह भी वाणिज्य दूतावास के संज्ञान में लाया गया है कि ऐसी सेवाएं प्रदान करने का दावा करने वाली कई फर्जी ई-वीजा वेबसाइटें इंटरनेट पर सक्रिय हैं। आवेदकों को गुमराह करने के लिए इनमें से कुछ वेबसाइटों ने भारत सरकार की वेबसाइटों की नकल करते हुए चित्र और होम पेज बनाए हैं।

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