84 साल में सबसे गर्म रहा 21 जुलाई का दिन, वैश्विक तापमान ने बनाया रिकॉर्ड
पेरिस। जलवायु परिवर्तन के भयावह परिणाम दुनिया को डराने लगे हैं। भीषण गर्मी, बाढ़, बेमौसम बरसात आम हो चुकी है। इस बीच वैश्विक स्तर पर तापमान के परिवर्तन पर नजर रखने वाली एजेंसी ने झुलसा देने वाली गर्मी को लेकर आंकड़े जारी किए हैं । पिछले हफ्ते अमेरिका समेत यूरोपीय देशों में लू और गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया था। ताजा आंकड़ों के अनुसार 21 जुलाई सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए दुनिया के इतिहास का अब तक का सबसे गर्म दिन बन गया है। इस दिन औसत तापमान पिछले 84 वर्षों के तुलना में अधिक दर्ज किया गया।
लंदन स्थित यूरोपीय संघ की कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (सी3एस) के अनुसार पहली बार वैश्विक औसत सतही वायु तापमान 17.09 डिग्री सेल्सियस (62.76 डिग्री फारेनहाइट) दर्ज किया गया है। जिसने पिछले साल जुलाई के तापमान का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पिछले साल 17.08 डिग्री सेल्सियस (62.74 फारेनहाइट) तापमान दर्ज किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले सप्ताह संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और रूस के बड़े हिस्से में भीषण गर्मी का प्रकोप देखा गया। कॉपरनिकस का कहना है कि 21 जुलाई को इस बार दैनिक औसत तापमान का पुराना रिकॉर्ड टूट गया।
रूस के उन इलाकों में भी लोगों के पसीने निकल रहे थे, जहां ठंड होती है। कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा के अनुसार, रविवार को गर्मी ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। 1940 के बाद सबसे गर्म दिन 21 जुलाई था, जो पिछले साल की छह जुलाई के 17.08 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड को पार कर गया। पिछले साल की बात करें तो तीन से लेकर छह जुलाई तक रोजाना गर्मी के रिकॉर्ड टूटे थे। वैज्ञानिकों ने बताया था कि जीवाश्म ईंधन (फोसिल फ्यूल) के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है।
सी3एस के निदेशक कार्लो बुओंटेम्पो ने कहा कि पिछले 13 महीनों में तापमान और पिछले रिकॉर्ड के बीच का अंतर चौंका देने वाला है। जैसे-जैसे जलवायु गर्म होती जा रही है, हम आने वाले महीनों और वर्षों में नए रिकॉर्ड देखेंगे। दुनिया बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के संकट को टालने के लिए विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करने के कगार पर खड़ी है। जुलाई इस तय सीमा के करीब पहुंचने का लगातार 13वां महीना है। सी3एस के वैज्ञानिकों के मुताबिक, पिछले साल जून के बाद से हर महीना रिकॉर्ड पर सबसे गर्म महीना रहा है।
कोपरनिक्स के अनुसार जून 2023 से लेकर लगातार 13 महीने की बात करें तो पर्यावरण में तेजी से बदलाव देखने को मिले हैं। उत्तरी गोलार्ध में गर्मी का प्रकोप अधिक देखने को मिला है। 21 जुलाई ग्रह पर सबसे गर्म दिन रहा है। वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि पिछले साल के बाद टूटा ये रिकॉर्ड अंतिम नहीं हो सकता। अभी जुलाई के कई दिन बाकी हैं। यह रिकॉर्ड भी टूट सकता है। अप्रैल में जलवायु परिवर्तन और मौसम की प्राकृतिक घटना अल नीनो के कारण गर्मी का कम ही प्रकोप देखने को मिला था। लेकिन अब उसका असर जुलाई पर देखने को मिल रहा है। जिसने इस साल के तापमान को और बढ़ा दिया है।