रूस-यूक्रेन युद्ध जारी, नागरिकता देने के नाम पर 40 हजार लोगों से रूस ने जबरन भरवाए फॉर्म

मॉस्को। रूस और यूक्रेन युद्ध अभी भी जारी है। पुतिन ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं, कि वो अब पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन रूस के सामने कई परेशानियां भी खड़ी हैं। रूसी सेना के पास सैनिक नहीं है जिसके लिए पुतिन ने रूस की नागरिकता पाने को आसान कर दिया है।

इसी बीच जानकारी सामने आई है कि यूक्रेन से लड़ने के लिए पुतिन ने लगभग 10,000 नैचुरलाइज्ड सिटिजन को भेजा है। बता दें, किसी विदेशी को नागरिकता दिए जाने वाले लोगों को नैचुरलाइज्ड सिटिजन कहा जाता है। खुद रूस के शीर्ष अधिकारी ने ये सूचना दी है।

रूसी अधिकारी ने ये भी बताया कि कुछ नागरिकों ने युद्ध में हिस्सा लेने के बजाए देश छोड़ने का विकल्प चुना है। आरोप है कि मॉस्को सैन्य हमले के लिए सैनिकों की संख्या बढ़ाने के लिए मध्य एशियाई प्रवासियों को सेना में शामिल होने के लिए मजबूर कर रहा है। ऐसा इसलिए ताकि ये सभी प्रवासी यूक्रेन युद्ध में हिस्सा ले सके।

रूस के अधिकारी ने क्या कहा ?

रूस की जांच समिति के प्रमुख अलेक्जेंडर बैस्ट्रीकिन ने कहा कि रूस उन प्रवासियों पर दबाव डाल रहा है, जिन्होंने रूसी नागरिकता प्राप्त की है। लेकिन इन सभी नागरिकों ने सैन्य अधिकारियों के साथ पंजीकरण नहीं कराया है।

बैस्ट्रीकिन ने आगे कहा कि हमने 30,000 से ज्यादा लोगों को पकड़ा है, जिन्होंने रूस की नागरिकता हासिल की थी। लेकिन ये लोग सैन्य सेवा के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराना चाहते थे। हालांकि, इन्हें सूची में डाल दिया गया है। उन्होंने उन पुरुषों के डेटाबेस का जिक्र किया, जो भर्ती होने के योग्य हो सकते हैं। बैस्ट्रीकिन ने आगे बताया कि, “पहले से ही लगभग 10,000 लोगों को विशेष सैन्य अभियान के तहत यूक्रेन भेजा जा चुका है”।

अधिकतर लोग मध्य एशिया से

रूस में लाखों प्रवासी जॉब करने के लिए अन्य देशों से आते हैं, जिनमें से अधिकतर लोग मध्य एशिया से हैं। नौकरी की कमी का सामना करते हुए, रूस ने हाल के सालों में उनके लिए रूसी नागरिकता हासिल करना आसान बना दिया है। रूसी नागरिकता कई लोगों के लिए एक आकर्षक प्रस्ताव है क्योंकि यह देश में रहने और काम करने से जुड़ी नौकरशाही को काफी हद तक कम कर देता है।

लेकिन रूस में इन प्रवासियों के लिए बड़ा चैलेंज है। रूस में प्रवासी सैन्य अधिकारियों के साथ रजिस्ट्रेशन करने और, अगर बुलाया जाता है, तो सेना में सेवा करने के लिए मजबूर हैं। बैस्ट्रीकिन ने कहा इसी के चलते लोग धीरे-धीरे नागरिकता छोड़ने लगे हैं।