बिहार चुनाव 2025: सीएम की कुर्सी पर फिर नीतीश! जेडीयू के केसी त्यागी बोले- “बीजेपी के साथ सब ठीक, नीतीश ही होंगे चेहरा”

jagan mohan reddy

नई दिल्ली। बिहार की सियासत एक बार फिर गरम हो गई है। विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए में मुख्यमंत्री पद को लेकर उठ रहे कयासों पर अब विराम लगता दिख रहा है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता और नीतीश कुमार के करीबी केसी त्यागी ने साफ कर दिया है कि एनडीए पूरी मजबूती के साथ नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरने जा रहा है और नीतीश ही फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे।

नीतीश कुमार ही चेहरा हैं
त्यागी ने कहा, एनडीए के सभी घटक दलों और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में इस बात पर एकमत है कि बिहार में नीतीश कुमार ही हमारा चेहरा होंगे। बीजेपी के साथ हमारा कोई मतभेद नहीं है, विपक्ष केवल अफवाहें फैला रहा है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जो दल खुद अस्थिर हैं, वही एनडीए में फूट की बात कर रहे हैं। हमारा गठबंधन पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और संगठित है, उन्होंने जोड़ा।

कुशवाहा की नाराजगी पर भी सफाई
सीट बंटवारे को लेकर नाराज बताए जा रहे आरएलकेपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा पर केसी त्यागी ने कहा, “अब कोई मतभेद नहीं है। कुशवाहा जी ने खुद साफ किया है कि सब ठीक हो गया है और वो पूरी तरह एनडीए के साथ हैं।”
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने उन्हें एमएलसी सीट देने का भरोसा दिलाया है, साथ ही भविष्य में राज्यसभा भेजने की संभावना पर भी चर्चा चल रही है।

101-101 सीटों पर लड़ेगी BJP-JDU
इस बार एनडीए का फॉर्मूला बराबरी पर टिका है — बीजेपी और जेडीयू, दोनों 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। साथ ही, उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे सहयोगी दल भी अपने-अपने प्रभाव वाले इलाकों में मोर्चा संभालेंगे।
यह रणनीति गठबंधन की “बराबरी और एकजुटता” का संदेश देने के लिए बनाई गई है।

विपक्ष के आरोपों का पलटवार
विपक्ष लगातार यह कह रहा है कि बीजेपी चुनाव के बाद नीतीश को किनारे कर सकती है। इस पर त्यागी ने पलटवार करते हुए कहा, “बिहार की राजनीति नीतीश कुमार के बिना अधूरी है। विकास, सुशासन और स्थिरता की पहचान वही हैं। विपक्ष मुद्दों के अभाव में सिर्फ भ्रम फैला रहा है।”

एनडीए में आत्मविश्वास ऊंचा
बिहार के राजनीतिक गलियारों से मिल रहे संकेत बताते हैं कि एनडीए कैंप इस बार पूरी तरह एकजुट और आत्मविश्वासी मूड में है।
नीतीश कुमार का अनुभव, बीजेपी की संगठन क्षमता और सहयोगी दलों की जातीय-सामाजिक पकड़ — यही इस चुनाव में एनडीए की सबसे बड़ी ताकत मानी जा रही है।