कांग्रेस पर बरस पड़ीं मायावती, नेहरु-गांधी नहीं अंबेडकर की वजह से मिला एससी-एसटी को आरक्षण
नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को आरक्षण का श्रेय पंडित नेहरू और महात्मा गांधी को दिया था इस पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस पर हमला बोला है. मायावती भड़क गईं और कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष की बातों में रत्ती भर सच्चाई नहीं है. कांग्रेस के झूठ को उजागर करते हुए कहा कि बसपा चीफ ने कहा कि नेहरू और गांधीजी की वजह से बल्कि बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की वजह से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) को आरक्षण मिला.
मायावती ने ट्वीट कर कहा, बीएसपी की प्रेस कान्फ्रेंस के बाद कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दिए बयान की जानकारी मिली. उन्होंने एससी-एसटी को मिले आरक्षण का श्रेय बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर को नहीं बल्कि पंडित नेहरू और गांधीजी को दिया, लेकिन इसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है. मायावती ने कहा कि जबकि वास्तव में आरक्षण का पूरा श्रेय बाबा साहेब को ही जाता है. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि कांग्रेस के लोगों ने तो बाबा साहेब को संविधान सभा में जाने से रोकने का षडयंत्र रचा और उनको चुनाव में भी हराने का काम किया. कानून मंत्री पद से भी इस्तीफा देने को विवश किया.
उन्होंने कहा, खरगे ने कहा कि देश में एससी-एसटी वर्गों के उपवर्गीकरण के संबंध में पार्टी के स्टैंड का खुलासा करने के पहले इनकी पार्टी एनजीओ और वकीलों से विचार-विमर्श करेगी. इससे साफ होता है कि कांग्रेस एससी-एसटी उपवर्गीकरण के पक्ष में है. मायावती ने कहा कि कांग्रेस द्वारा क्रीमीलेयर के बारे में भी गोलमोल बातें की गई है. कांग्रेस के 99 सांसद होने के बाद भी सत्रावसान होने तक संसद में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को निष्प्रभावी बनाने के लिए कोई भी आवाज नहीं उठाई गई जबकि इस पार्टी ने संविधान और आरक्षण को बचाने के नाम पर ये सीटें जीती हैं.
सुप्रीम कोर्ट के सब कैटेगरी और एससी-एसटी क्रीमी लेयर को लेकर मायावती ने सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के 40 करोड़ लोग सरकार के रुख से ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. मायावती ने कहा कि सरकार क्रीमी लेयर और कोटे के अंदर कोटे के बहाने हमारा आरक्षण खत्म करना चाहती है. पीएम मोदी लोगों को भ्रमित कर रहे हैं. बीएसपी चीफ ने कहा कि केंद्र सरकार ने कई बार आरक्षण को खत्म करने की कोशिश की है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकारें अपने हिसाब से रिजर्वेशन दे सकती हैं और इसके बाद दलितों का रिजर्वेशन खत्म हो सकता है. इससे बचने के लिए हमारे समाज के सभी सांसदों और विधायकों को एकजुट होना होगा.