10 साल की उम्र में हुआ था हादसे का शिकार, दोनों हाथ खो चुके व्‍यक्ति को मिला ड्राइविंग लाइसेंस

चेन्नई। अगर कोई व्यक्ति कुछ करने की ठान ले तो उसके लिए अधिकांश काम करना संभव हो सकता है। उसके हौसलों में शारीरिक अस्वस्थ्यता बाधा नहीं हो सकती है। वह अपनी कमियों को अपनी ताकत और प्रेरणा बनाकर काम को पूरा कर सकता है। चेन्नई के दिव्यांग 30 साल के तानसेन ने दोनों हाथ न होने के बावजूद ड्राइविंग लाइसेंस हासिल कर लिया है। उन्‍होंने ये मिसाल पेश की है।

तानसेन ने छोटी सी उम्र में ही एक बिजली से जुड़ी दुर्घटना में दोनों हाथ खो दिए थे। हाथ खोने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अपनी कार को पैरों से चलाकर ड्राइविंग लाइसेंस भी हासिल कर लिया। वह दिव्यांग होते हुए भी ड्राइविंग लाइसेंस पाने वाले तमिलनाडु के पहले व्‍यक्ति बन गए हैं। उन्हें इस साल 22 अप्रैल को अपना ड्राइविंग लाइसेंस मिला। उन्होंने पेरम्बूर में अपनी पढ़ाई पूरी की और फिलहाल एलएलएम कर रहे हैं। तानसेन में लाइसेंस पाने की इच्छा तब जगी, जब उन्होंने मध्य प्रदेश के एक व्यक्ति विक्रम अग्निहोत्री के बारे में सुना। अग्निहोत्री के भी दोनों हाथ नहीं थे। इसके बावजूद सालों पहले उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर लिया था। केरल की एक महिला जिलुमोल मैरिएट थॉमस भी लाइसेंस पा चुकी है। इन सब उदाहरणों से तानसेन को प्रेरणा मिली।

तानसेन ने बताया, जब मैं 10 साल का था तो मेरे साथ एक दुर्घटना हुई। इससे मैंने दोनों हाथ खो दिए। मैंने अपनी डिग्री पूरी कर ली है। जब मैं 18 साल का हुआ तो मेरे सभी दोस्तों को ड्राइविंग लाइसेंस मिल गए। उस समय मुझे बहुत बुरा लगा। क्योंकि मैं लाइसेंस नहीं ले सका या कार नहीं चला सका। तब मैंने सोचा कि लाइसेंस पाना मेरे लिए महत्वपूर्ण है। मैंने मध्य प्रदेश के अग्निहोत्री के बारे में खबर सुनी, उनसे भारत में बिना हाथों के लाइसेंस पाने के लिए मुझे प्रेरणा मिली। हाल ही में केरल में एक लड़की को भी लाइसेंस मिला।

गाड़ी चलाने का सपना लिए तानसेन ने बिना हाथों के अपने पैरों का उपयोग करके कार चलाना सीखना शुरू कर दिया। उन्होंने एक नई मारुति स्विफ्ट कार खरीदी। उसमें थोड़ा बदलाव किया और तीन महीने तक लगातार ट्रेनिंग की। उन्होंने बताया, मैंने एक कार खरीदी और चलाने की कोशिश की। मेरा दाहिना पैर स्टीयरिंग व्हील पर था और मेरा बायां पैर ब्रेक और एक्सीलेटर पर था। मैंने तीन महीने तक कार चलाने की ट्रेनिंग ली, जिसके बाद मैं आरटीओ गया। आरटीओ ने मुझे लाइसेंस दे दिया। मैं लाइसेंस पाकर बहुत खुश हूं। तमिलनाडु में मैं लाइसेंस पाने वाला ऐसा पहला व्यक्ति हूं। मुझे लगता है कि इसके बाद मेरे जैसे लोगों को बहुत आसानी से लाइसेंस मिल जाएगा।