विशेष अदालत के पीएमएलए शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद ईडी आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर सकता

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 19 के तहत किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकता। कोर्ट ने कह, जब विशेष अदालत ने धन शोधन की शिकायत पर संज्ञान ले लिया हो। यदि ईडी ऐसे किसी आरोपी की हिरासत चाहती है तो जांच एजेंसी को विशेष अदालत में आवेदन करना होगा। अदालत ने कहा, धारा 44 के तहत शिकायत के आधार पर पीएमएलए की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान लेने के बाद, ईडी और उसके अधिकारी शिकायत में आरोपी के रूप में दिखाए गए व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए धारा 19 के तहत शक्तियों का प्रयोग करने में शक्तिहीन हैं।

लाइव लॉ के अनुसार जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने कहा, अगर ईडी को उसी अपराध की आगे की जांच करने के लिए समन की तामील के बाद पेश होने वाले आरोपी की हिरासत चाहिए तो ईडी को विशेष अदालत में आवेदन करके आरोपी की हिरासत मांगनी होगी। आरोपी की सुनवाई के बाद विशेष अदालत को संक्षिप्त कारणों को दर्ज करने के बाद आवेदन पर आदेश पारित करना चाहिए। आवेदन पर सुनवाई करते समय अदालत हिरासत की अनुमति तभी दे सकती है जब वह संतुष्ट हो कि हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है भले ही आरोपी को धारा 19 के तहत कभी गिरफ्तार नहीं किया गया हो।

पीएमएलए की धारा 19, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकृत अधिकारियों को उनके पास उपलब्ध सामग्री के आधार पर व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का अधिकार देती है, जिससे यह संदेह करने के लिए उचित आधार मिलता है कि किसी व्यक्ति ने कानून के तहत दंडनीय अपराध किया है। सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इस मुद्दे का सार यह था कि क्या दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 88 (उपस्थिति के लिए बांड लेने की शक्ति) के तहत अदालत के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए अभियुक्त द्वारा बांड का निष्पादन करना, धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 45 के तहत जमानत की दोहरी शर्तों को लागू करने के लिए जमानत के लिए आवेदन करने के समान होगा।

पीएमएलए की धारा 45 जमानत के लिए निर्धारित शर्तों के बारे में बताती है और कहती है कि किसी भी आरोपी व्यक्ति को तब तक जमानत नहीं दी जाएगी जब तक कि अदालत इस बात से संतुष्ट न हो जाए कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि वह ऐसे अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर रहते हुए उसके द्वारा कोई अपराध करने की संभावना नहीं है। पीठ ने यह भी कहा कि यदि ईडी इसी मामले में आगे जांच करना चाहता है, तो वह पहले से दर्ज शिकायत में आरोपी के रूप में नहीं दिखाए गए व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है, बशर्ते धारा 19 की आवश्यकताएं पूरी हों। ईडी ने केजरीवाल की इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई कि अगर इंडिया ब्लॉक चुनाव जीतता है तो वह जेल में नहीं जाएंगे, सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिक्रिया दी। ईडी ने केजरीवाल की इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई कि अगर इंडिया ब्लॉक कांग्रेस सत्ता में आई तो वह जेल में नहीं जाएंगे ।

ईडी ने केजरीवाल की इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई कि अगर इंडिया ब्लॉक चुनाव जीतता है तो वह जेल में नहीं जाएंगे, सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिक्रिया दी ईडी ने केजरीवाल की इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई कि अगर इंडिया ब्लॉक कांग्रेस सत्ता में आई तो वह जेल में नहीं जाएंगे । अदालत ने कहा, अगर शिकायत दर्ज होने तक ईडी ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है, तो सामान्य नियम के अनुसार शिकायत का संज्ञान लेते हुए विशेष अदालत को आरोपी को समन जारी करना चाहिए, न कि वारंट। अगर आरोपी जमानत पर है, तो भी समन जारी किया जाना चाहिए।

अदालत ने कहा, अगर आरोपी समन के जवाब में विशेष अदालत के समक्ष पेश होता है, तो यह नहीं माना जा सकता कि वह हिरासत में है। इसलिए आरोपी को जमानत के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि विशेष अदालत आरोपी को सीआरपीसी की धारा 88 के तहत बांड प्रस्तुत करने का निर्देश दे सकती है। इसमें कहा गया है कि धारा 88 सीआरपीसी के तहत प्रस्तुत किया गया बॉन्ड केवल एक वचनबद्धता थी। इसलिए धारा 88 के तहत बॉन्ड स्वीकार करने का आदेश जमानत देने के बराबर नहीं है और इसलिए पीएमएलए की धारा 45 की दो शर्तें इस पर लागू नहीं होती हैं।

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