झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम की ‘कट मनी’ ने कमीशन राज का चिट्ठा खोला

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नई दिल्‍ली। शासन में किस तरह कट मनी राज्‍य चल रहा है यह खुलासा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त दस्तावेजों से होता है। इससे यह साफ होता है कि सरकार आंखें बंद किए रहती हैं और उनके मंत्री परियोजनाओं की रकम खाने में लगे रहते हैं। झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम का मामला तो यह बता रहा है कि प्रत्येक सरकारी परियोजना के ठेकेदारों और डेवलपर्स से 40-50 प्रतिशत की मोटी रकम हड़पना झारखंड के वरिष्ठ मंत्री और कांग्रेस नेता आलमगीर आलम की कार्यप्रणाली रही है। मंगलवार को विशेष पीएमएलए अदालत में मंत्री की न्यायिक हिरासत की मांग करने वाली याचिका के साथ एजेंसी द्वारा प्रस्तुत किए गए कागजात से पता चलता है कि किस तरह सरकारी परियोजनाओं से जुड़ी गड़बड़ियां राज्य में लगभग एक सामान्य बात बन गई हैं। आलम को पिछले सप्ताह भ्रष्टाचार के एक मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था।

ईडी द्वारा रिश्वत और अवैध कमीशन के खुलासा बताता है कि आलम ने किस तरह सरकारी परियोजनाओं का फायदा उठाकर निजी लाभ और पार्टी के खजाने को फायदा पहुंचाया। ईडी ने याचिका में लिखा, जांच के दौरान आरोपी व्यक्तियों मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल और जहांगीर आलम (संजीव कुमार लाल के करीबी सहयोगी) के विभिन्न परिसरों में तलाशी ली गई। 37.5 करोड़ रुपये (लगभग) की भारी मात्रा में नकदी जब्त की गई, जिसमें संजीव लाल के करीबी सहयोगी जहांगीर आलम के परिसर से जब्त 32.2 करोड़ रुपये शामिल हैं। इसके बाद, जहांगीर आलम और संजीव कुमार दोनों के पास अपराध की आय पाई गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। एजेंसी ने मंत्री की गिरफ्तारी का आधार स्थापित करते हुए कहा, यह पता चला है कि 32.2 करोड़ रुपये की नकदी, जो रांची के 1ए सर सैयद रेजीडेंसी में जहांगीर आलम के नाम के फ्लैट से मिली और जब्त की गई, आलमगीर आलम से संबंधित है और इसे जहांगीर आलम ने संजीव कुमार लाल के निर्देश पर एकत्र किया था, जो आलमगीर आलम की ओर से यह काम कर रहा था।

प्रवर्तन निदेशालय ने ठेकेदारों की सूची, संबंधित परियोजनाओं के लिए कोटेशन और मंत्री द्वारा अर्जित राजनीतिक कमीशन जब्त कर लिया है। बरामद दस्तावेजों से पता चला है कि कुछ मामलों में मंत्री या अधिकारियों के आधिकारिक लेटर-हेड पर गणना की गई थी। जब्त दस्तावेजों और डायरियों के अनुसार, जनवरी 2024 में बोकारो के एक गांव में 8.40 लाख रुपये की तालाब खुदाई परियोजना के लिए एक ठेकेदार को कथित तौर पर मंत्री को लगभग 3.78 लाख रुपये का भुगतान करना था। गिरिडीह में 5.60 लाख रुपये की सड़क निर्माण परियोजना के लिए, ठेकेदार ने उसी महीने मंत्री को लगभग 2.52 लाख रुपये का भुगतान किया। ये सूची में उल्लिखित कुछ परियोजनाएं हैं।

जनवरी में मंत्री के सहयोगियों के आवासीय परिसरों और कार्यालयों से जब्त की गई उक्त सूचियों में 25 ऐसी परियोजनाओं का उल्लेख था, जिनके लिए मंत्री को कथित तौर पर प्रति परियोजना लगभग 40-50 प्रतिशत की रिश्वत मिली थी। सूची में ठेकेदारों, उनकी परियोजनाओं, इलाकों और एम को मिलने वाले कट मनी का विवरण है। ईडी ने याचिका में कहा कि जांच के दौरान उसे पता चला कि एम का मतलब मंत्री है। इसके अलावा, सरकारी लेटरहेड और सरकारी पत्रों पर कई सरकारी दस्तावेज भी बरामद किए गए।

ईडी ने याचिका में कहा, जहांगीर आलम के परिसर से भारी मात्रा में नकदी मिली है, जिसे ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के कब्जे में रखा गया होगा, जिससे यह साबित होता है कि संजीव कुमार लाल इस परिसर का इस्तेमाल मंत्री आलमगीर आलम से संबंधित दस्तावेज और रिकॉर्ड, नकदी और अन्य सामान रखने के लिए कर रहे थे। ईडी ने याचिका में कहा, जांच के दौरान पता चला है कि इस तरह के संग्रह का रिकॉर्ड संजीव कुमार लाल और ग्रामीण विकास विभाग के अन्य अधिकारियों द्वारा बनाए रखा जा रहा था। जांच में पता चला कि इस तरह के कमीशन का रिकॉर्ड रखने के लिए उनके द्वारा कोड लेटर एम (मंत्री), साहब और एच (माननीय मंत्री) का इस्तेमाल किया जा रहा था जो मंत्री आलमगीर आलम को संदर्भित करता है।

निदेशालय ने स्पष्ट किया कि अपराध की आय को संगठित तरीके से एकत्रित और वितरित किया जाता है तथा इस प्रक्रिया में शामिल व्यक्तियों का हिस्सा उनके कार्य के प्रकार के अनुसार तय होता है। याचिका में कहा गया जांच के दौरान, कई उदाहरण और पुष्टि करने वाले साक्ष्य भी मिले जो स्पष्ट रूप से आलमगीर आलम की भूमिका को स्थापित करते हैं। इसलिए, आलमगीर आलम को मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल पाया गया है, और अपराध की आय अर्जित की है और उसके पास है जिसे उसके सहयोगियों के परिसरों में छिपाकर रखा गया है और जो इस मामले में जांच का विषय है।

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